या सबसे बड़ी बात कि आप वो आदर्श व्यक्तित्व एवं माँ थीं जिसने संसद में सिर्फ़ अपनी इकलौती बेटी पर लगे आरोपों से ही उसे नहीं बचाया बल्कि उन नब्बे हज़ार भारतीयों को भी बचाया जो अन्य देशों में अलग-अलग कारणों से जा फंसे थे और वहां से बचकर आना उनके अकेले के वश की बात नहीं थी। जिस ट्विटर और फेसबुक जैसी सोशल साइट को लोगों ने दिमागी कचरा निस्तारण यंत्र बना रखा है ऐसी साइटों पर आपकी हेल्पलाइन चल रही थी। जहाँ आपसे हर वो व्यक्ति मदद मांगने पहुँचने लगा जो ठीक से फोन पकड़ना भी नहीं जानता था।
आप तो वो भारतीय नारी थीं जिसके परिधान से लेकर हर व्रत त्यौहार में आपका संस्कृति प्रेम झलकता था।
असल में आप तो बस आप ही थीं,एक अद्भुत व्यक्तित्व
और आपके लिए लिखना सूर्य को दीपक दिखाने जैसा दुस्साहस है। मेरी लेखनी में वो दम नहीं जो आपके संपूर्ण व्यक्तित्व को उकेर पाने का दुस्साहस करें।
आज बस इतना लिखूंगी कि अपने पुण्य कर्मों के कारण आप जैसी व्यक्तित्व भले ही मोक्ष को प्राप्त हुईं लेकिन हर माँ के गर्भ से एक सुषमा स्वराज को अवश्य जन्म लेना चाहिए।
अश्रुपूरित आँखो से आपको विनम्र श्रद्धांजलि सुषमा स्वराज जी।
प्रज्ञा अखिलेश